आज बात करेंगे शेयर बाजार की। निफ्टी ने नया लाइफ टाइम हाई बनाया है। मार्केट कैप के लिहाज से भारतीय बाजार दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है। ये रफ्तार किन वजहों से आई है? क्या इसके साथ कुछ रिस्क भी हैं? क्या स्मॉल और मिडकैप में बुलबुला बन रहा है? बजट और आम चुनाव से पहले किन सेक्टरों पर दांव लगाया जा सकता है? ऐसे कई सवालों के जवाब जानेंगे, जाने माने मार्केट एक्सपर्ट और फाइनेंशियल प्लैनर समीर रस्तोगी जी से, जो सक्षम वेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं।

समीर जी, स्वागत है इस बातचीत में। निफ्टी ने एक दिसंबर को 20,291 का लेवल छू लिया। डोमेस्टिक के साथ फॉरेन इन्वेस्टर्स भी अच्छी लिवाली करने लगे हैं। किन वजहों से ऐसा हो रहा है?

रैली तो सभी देख रहे हैं और अभी आपने कहा कि FII की खरीदारी भी बढ़ रही है। उसका कारण कहीं न कहीं जीडीपी का जो आंकड़ा आया है, वो पॉजिटिव रहा है। दुनिया भर में एक उम्मीद जगी है कि महंगाई पहले से कम रहेगी। इसके बाद यूएस फेड और दूसरे सेंट्रल बैंक इंटरेस्ट रेट कट करेंगे, जिसकी वजह से कॉरपोरेट अर्निंग को फायदा होगा। उसी वजह से जो FII का मूड है, वो चेंज हुआ है और वो वापिस मार्केट में आने को तैयार हैं। अगर हम आंकड़ों को देखेंगे तो पिछले एक महीने के अंदर यूएस मार्केट ने इंडिया मार्केट से थोड़ा बेहतर ही किया है। सिर्फ यूएस मार्केट ने ही नहीं, यूरोप और जापान के मार्केट ने भी अच्छा किया है। अभी हम ग्लोबल थीम पर चल रहे हैं। लेकिन केवल भारत के ऊपर भी एक रिपोर्ट है। उसके मुताबिक इंडिया फोकस फंड्स कुछ खास अट्रैक्शन डिमांड कर रहे हैं।

लेकिन इस तेजी में क्या स्मॉल और मिड कैप्स में कुछ बुलबुला जैसा भी है?

मैं कहूंगा कि बुलबुला नहीं, ओवरवैल्यूएशन कह सकते हैं। देखिये बुलबुला क्या होता है। बुलबुला होता है कि अगर मार्केट इतनी ज्यादा वैल्यू पर चला गया है कि अगर करेक्शन हुआ तो 40 से 50% पर चला जाएगा। ऐसी सिचुएशन स्मॉल मिड में नहीं है। ओवरवैल्यूएशन कह सकते हैं। वो ओवरवैल्यूएशन कुछ हद तक वाजिब इस वजह से भी है क्योंकि मिड और स्मॉल कैप की जो कॉर्पोरेट अर्निंग्स है, वो भी बेहतर आई। हिस्टोरिकल स्टैंडर्ड से जो उसका दायरा है, वो क्रॉस कर गया है। कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि आने वाले समय में अगले छह महीने, साल या डेढ़ साल के अंदर हो सकता है स्मॉल और मिडकैप अंडरपरफॉर्म करें लार्ज कैप से। लेकिन बुलबुले वाली सिचुएशन नहीं है कुछ पॉकेट्स है जहां बुलबुला हो सकता है लेकिन मैं ये भी कहूंगा कि स्मॉल और मिडकैप में ऐसे स्टॉक्स भी हैं और ऐसे पॉकेट भी है जहां पर जो स्टॉक पिकर्स हैं, अच्छे फंड मैनेजर हैं, वो अभी भी सुपीरियर अल्फा दे सकते हैं।

आपने इकोनॉमिक ग्रोथ का हवाला दिया, जिस वजह से निवेशक भारतीय बाजार पर दांव लगा रहे हैं। जीडीपी ग्रोथ का सरकारी जो आंकड़ा है वो मौजूदा फाइनैंशल ईयर के लिए 6.5% का है। लेकिन जो रेटिंग एजेंसियां है वो उससे कहीं अधिक ग्रोथ का अनुमान लगाने लगी है।पेट्रोलियम एक्सपोर्ट करने वाले जो देश हैं, उनका प्रोडक्शन कट का प्रोग्राम है। उसके बावजूद क्रूड ऑइल नरमी में है। इसके बावजूद क्या कुछ रिस्क आपकी नजर में हैं, जो इंडियन शेयर मार्केट के लिए हो सकते हैं?

एक सबसे बड़ा रिस्क जो है, हमें इलेक्शन के बाद ही समझ में आएगा। वो है पॉलिटिकल अनिश्चितता। वो अगर कुछ होता है तो मार्केट को एक सीधे झटका लग सकता है। दूसरा रिस्क अगर हम बात करें तो हम सब ये मानकर बैठे हैं कि इन्फ्लेशन अब ठीक है, जिसकी वजह से इंटरेस्ट कट होने शुरू होंगे। लेकिन हमें नहीं पता कि ये पॉलिटिकल टेंशन की वजह से या और किसी वजह से इन्फ्लेशन सर उठा सकता है या नहीं। अगर वहां ये हुआ तो निराशा होगी। उसके अलावा मुझे अभी ऐसा कोई रिस्क दिख नहीं रहा, जिसकी वजह से हमें चिंता करनी चाहिए।

आपने बजट का, आम चुनाव का हवाला दिया। फिलहाल अंतरिम बजट भी आएगा ही। बजट के ये जो दो इवेंट्स है और आम चुनाव, इनको देखते हुए अभी निवेशकों को किन सेक्टरों की सलाह आप दे रहे हैं? किन सेक्टरों पर दांव लगाया जा सकता है?

मैं कहूंगा कि बैंकिंग एक ऐसा सेक्टर है, जिसने काफी समय से परफॉर्म नहीं किया है। सापेक्ष नजरिए से वो अंडरपरफॉर्म कर रहा है।उसकी वैल्यूएशन स्ट्रॉन्ग है। अर्निंग भी स्ट्रांग है। कहीं ना कहीं जब FII वापस आ रहे हैं तो FII की जो मेजर वॉल्यूम्स होती हैं, वो बैंकिंग और फाइनैंशल सेक्टर में होती हैं। वहां पर इन्वेस्टर देख सकते हैं। दूसरा मुझे फार्मा लगता है। फार्मा एक मीडियम टर्म अपर्चुनिटी भी है। एक लॉन्ग टर्म अपर्चुनिटी भी है। उस पर भी सीरियसली विचार किया जा सकता है। बाकी सारे सेक्टर्स में मैं ये कहूंगा कि कहीं पर भी अंडर वैल्यूएशन नहीं है। लॉन्ग टर्म में वो जनरल मार्केट देख सकते हैं, लेकिन फार्मा और बैंकिंग अभी ठीक लगते हैं।

समीर जी, आपने इन्फ्लेशन का जिक्र किया। यूएस फेडरल रिज़र्व के चीफ पॉवेल कह रहे हैं कि रेट कट की बहुत उम्मीद ना करें। आरबीआई की एमपीसी मीटिंग भी होने वाली है। ऐसा लग रहा है कि रेट कट नहीं किया जा रहा है लंबे समय से, उसके बावजूद जीडीपी ग्रोथ अच्छी दिख रही है, उसकी वजह से अब रेट कट की उम्मीद आरबीआई से भी नहीं की जा रही। हो सकता है वो रेट कट ना करें। अगले फाइनैंशल ईयर में ये हो सकता है कि ऐसा कुछ कदम उठाए। मार्केट के लिए इसका क्या मतलब है?

अगर हम बात करते हैं कि यूएस फेड क्या कहता है और आरबीआई क्या कहता है। उसमें थोड़ा सा हमें डिस्काउंट करना पड़ेगा। यूएस फेड की बात कर रहे हैं तो वो बताकर नहीं चलेंगे कि कब वो रेट कट करने वाले हैं। जब उनको रेट कट करना होगा, सीधा कर देंगे। वो पहले से घोषणा करके नहीं चलते हैं कि अगला हमारा कदम क्या होगा, क्योंकि मार्केट के अंदर उसके नतीजे हो सकते हैं। इसलिए वो बता कर नहीं चलते हैं। अगर हमें लगता है कि रेट कट नहीं आने वाले हैं तो उसका मतलब ये भी है कि शायद यहां से रेट ना बढ़े। अगर रेट ना भी बढ़े तो भी मार्केट एक न्यूट्रल पोजीशन पर रहेगा। मुझे लगता है कि ऊंचे इंटरेस्ट रेट के बावजूद अमेरिकी जीडीपी मजबूत है। उसको कोई झटका नहीं लगने वाला। हमारे इंटरेस्ट रेट किसी हाल में बहुत ज्यादा नहीं है। हम जिस तरह के इंटरेस्ट रेट के माहौल में हैं, वो कई बार देख चुके हैं और ये हमारे लिए एक नॉर्मल है, एक औसत है। अगर इंटरेस्ट रेट कट नहीं होता है तो उसके लिए मार्केट न्यूट्रल
है। अगर रेट कट हो जाता है तो उसके लिए कोई काफी पॉजिटिव है। रेट बढ़ाने का चांस मुझे काफी कम लग रहा है।

इस हाई लेवल पर मार्केट आ गया है, तो जो लोग SIP करते हैं, उनके लिए आपकी क्या सलाह है? जो लोग सोच रहे हैं कि मार्केट में एंट्री करें और उन्होंने कभी SIP नहीं किया है तो इस लेवल पर वो शुरू करें या मार्केट के नीचे आने का इंतजार करें।

अभी हम बात कर रहे थे कि मार्केट में मुझे लार्ज कैप की वैल्यूएशन खास तौर से ठीक लग रही है। थोड़ा बहुत ओवरवैल्यूएशन स्मॉल और मिडकैप में हो सकता है। लेकिन जो SIP इन्वेस्टर हैं, उनके लिए लार्ज कैप से जुड़े फंड तो खुले ही है। वो अच्छे ऑप्शन हैं। उनको वेट नहीं करना चाहिए। उनको तो आज भी SIP में दांव लगाना चाहिए। अगर स्मॉल कैप फंड में थोड़ी सी ओवरवैल्यूएशन मान लिया जाए तो भी SIP के जरिए अच्छे स्टॉक चुनने से और लॉन्ग टर्म नजरिया रखने से स्मॉल कैप का रिटर्न लार्ज कैप से भी बेहतर ही आएगा। तो वो भी विचार कर सकते हैं।

समीर जी, अगले साल बजट और आम चुनाव के जो दो इवेंट्स है, उनको देखते हुए आपने बहुत विस्तार से जानकारी दी। आपने कहा कि मार्केट के लिए फिलहाल कोई बड़ा रिस्क नहीं दिख रहा है। आपने बैंकिंग और फार्मा पर दांव लगाने की सलाह दी। बहुत बहुत धन्यवाद विस्तार से जानकारी देने के लिए।

Article originally published on NBT GOLD. Original article link
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By Sameer Rastogi

18 years of experience, PG in Finance and has delivered Wealth Management lectures at IIM Lucknow, IBS Gurgaon and IIPM Delhi. Contributed to various newspapers. Strength – Application of Economic fundamentals to Investment

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